किस प्रकार ध्यानचंद बने "हाकी के जादूगर" ध्यानचंद की कहानी जरूर देखें मोटिवेशनल स्टोरी

नमस्कार दोस्तों हम सभी किसी न किसी खेल में रुचि जरूर रखते हैं, परंतु किसी खेल में विशेषज्ञ बनने के लिए हमको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। और उस खेल का मास्टर बनने के लिए हमें अपना जीवन लगाना पड़ता है ।और इसके लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है और धैर्य रखना पड़ता है ऐसे ही कुछ हमारे देश में खिलाड़ी हुए जिन्होंने अपने देश का नाम अपनी मेहनत के बल पर रोशन किया। तू चलिए आइए जानते हैं उस महान खिलाड़ी की जिसने अपनी खेल से पूरी दुनिया को हिला डाला।
हमारे देश का प्रमुख राष्ट्रीय खेल हॉकी है। भारत में खेलों के इतिहास पर अगर आप नजर डालेंगे तो पाएंगे कि हांकी का एक स्वर्णिम युग रहा है ।स्वतंत्रता से पहले जब खेलों के लिए सुविधाओं और प्रशिक्षण का अभाव था। उस समय भी अनेक ऐसे खिलाड़ी हुआ करते थे, जिन्होंने अपने प्रतिभा एवं कड़ी परिश्रम के बल पर भारत को विश्व में सम्मान दिलाया। हॉकी में भारत को पहचान दिलाने में सबसे विशेष योगदान है ,मेजर ध्यानचंद। इनको 'हॉकी का जादूगर' भी कहा जाता है ।ध्यानचंद की बचपन से ही खेलों में विशेष रूचि थी। सन 1922 ईस्वी में वे सेना में भर्ती हुए 4 साल बाद ही उन्हें भारतीय हॉकी टीम के साथ न्यूजीलैंड जाने का अवसर मिला। यहां अपने खेल से उन्होंने सब को बहुत प्रभावित
किया। वह सन 1928 ईस्वी के ओलंपिक खेलों में भाग लेने एमस्टरडम पहुंचे ।वहां भारत की हॉकी टीम ने अनेक देशों की हां हांकी टीमों को हराकर भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। यह एक गौरवपूर्ण घटना थी। किंतु इससे भी अधिक शानदार प्रदर्शन सन 1936 ईस्वी में बर्लिन ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम का था ।आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस खेल में हिटलर भी मौजूद था उसी के सामने ध्यानचंद ने चमत्कारिक ढंग से जर्मनी की टीम को पराजित किया। हिटलर ने ध्यानचंद को अपनी और आकर्षित करने के लिए अनेक प्रलोभन दिए किंतु इन प्रलोभन के बावजूद भी ध्यानचंद ने हिटलर का प्रस्ताव ठुकरा दिया ।मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे खिलाड़ियों के सरताज "दद्दा" के नाम से विख्यात थे ।सन 1956 ईस्वी में इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इनका नाम भारतीय खेल जगत में सदैव अमर रहेगा 3 दिसंबर सन 1979 ईस्वी को लंबी बीमारी के कारण इनका निधन हो गया। उनकी याद में झांसी स्थित एक स्टेडियम का नाम मेजर ध्यानचंद स्टेडियम रखा गया। मेजर ध्यानचंद का अनुसरण करके इनके भाई रूप चंद ने भी भारत में हाथी का नाम रोशन किया खेल जगत के अन्य क्षेत्रों में ऐसे और भी खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व में भारत का नाम ऊंचा किया है।
अगर आपके अंदर भी किसी भी प्रकार का जुनून है तो आप घबराएं नहींं कि आपके पास क्या है बस आप उस कार्य को करने के लिए लगातार मेहनत कीजिए और अपने अंदर खूब ढेर सारा धैर्य रखिए क्योंकि किसी भी काम को करने के लिए सिर्फ मेहनत की ही जरूरत नहीं होती है धैर्य सबसे ज्यादा जरूरी होता है इसलिए अगर आपके अंदर कोई लक्ष्य है ,तो कड़ी मेहनत कीजिए धैर्य रखिए और लगातार काम करते रहिए यह तीन ऐसी चीजें हैं जो आपको सफलता जरूर दिलाएंगे ।

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